बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
अथवा
सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये?
अथवा
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में आर्थिक कारकों के योगदान की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक परिवर्तन के लिए आर्थिक कारक भी उसी प्रकार महत्वपूर्ण हैं जिस प्रकार अन्य कारक महत्वपूर्ण होते हैं। आर्थिक कारकों का प्रत्यक्ष सम्बन्ध हमारे जीवन यापन के आवश्यक साधनों से होता है। कार्ल मार्क्स के अनुसार "व्यक्ति जिन्दा रहेगा फिर कहीं वह इतिहास या समाज का निर्माण कर सकेगा और जिन्दा रहने के लिए उसे भोजन, कपड़ा व मकान की आवश्यकता होगी। ये सभी वस्तुऐं केवल आर्थिक प्रयास से ही प्राप्त हो सकती है। यही कारण है कि समाज के आर्थिक ढाँचे में परिवर्तन के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है। इसे हम एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। प्रारम्भ में मनुष्य खानाबदोश था वह केवल शिकार पर निर्भर था। वह शिकार पकड़कर मार कर खा जाता था। उसका जीवन स्थिर नहीं था। उसके बाद व्यक्ति उपयोगी पशुओं को पालने लगा जिससे उसके जीवन में कुछ ठहराव आया। पशुओं के खाने के लिए खेती की जाने लगी। मनुष्य स्वयं अपने खाने के लिए निश्चित स्थान पर रहने व खेती करने लगा। वस्तु के बदले धन का प्रचलन हुआ व व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व आ गया। व्यक्ति निश्चित भूमि में रहकर जीवन यापन करने लगा तथा उसका सामाजिक जीवन स्थायी हो गया। व्यक्तियों ने सम्बन्धों का निर्माण किया। इसके बाद औद्योगिक स्तर पर पहुँचते ही आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। अतः स्पष्ट है कि आर्थिक परिवर्तन व्यक्ति के सामाजिक जीवन को प्रभावित करते हैं। संक्षेप में इसका विवरण निम्न है -
(1) आर्थिक कारक परिवार और विवाह में परिवर्तन (Economic factors and change in family and marriage) - आर्थिक कारकों का सर्वाधिक प्रभाव व्यक्ति के परिवार पर पड़ा उद्योग-धन्धों के विकास, यातायात और साधनों में उन्नति, नगरीकरण और मकानों की समस्या नौकरी का क्षेत्र इन सभी आर्थिक कारकों के कारण परिवार का स्वरूप बदलता जा रहा है। पहले व्यक्ति खेती करता था संयुक्त आमदनी होती है परन्तु नौकरी करने के कारण एकाकी आमदनी होती है तभी व्यक्ति उच्च शिक्षा अपने बच्चों को दिलाना चाहता है यही कारण है कि आज संयुक्त परिवार एकाकी परिवारों में बदल रहे है। वर्तमान समय मे एकाकी परिवार का ही प्रचलन है। पहले व्यक्ति संयुक्त परिवार में रहकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है परन्तु वर्तमान समय में स्त्रियों व पुरुष साथ-साथ नौकरी करते है व आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हैं इसी कारण भारतवर्ष में विलम्ब विवाह प्रेम विवाह व अन्तर्जातीय विवाह का प्रचलन बढ़ गया है।
(2) आर्थिक कारक और स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन (Economic factors and change in the status of women) - परम्परागत रूप में भारत में स्त्रियों की स्थिति शोचनीय थी मध्यकाल में तो स्त्रियों की दशा बहुत निम्न थी परन्तु आधुनिक समय में आर्थिक कारकों के कारण स्त्रियों की स्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये। स्त्रियाँ प्रत्येक व्यवसाय जैसे सरकारी प्रतिष्ठान, गैर सरकारी प्रतिष्ठान, कम्प्यूटर, टेलीफोन एक्सचेंज दूरदर्शन, आकाशवाणी सभी में पुरुषों के समान कार्य करती हैं इस कारण स्त्रियों की दशा में सुधार भी हुआ। परिवार में उनका सम्मान किया जाने लगा। स्त्रियाँ नौकरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। परम्परागत दृष्टिकोण के आधार पर यह क्रान्तिकारी परिवर्तन है। आर्थिक कारकों के परिणामस्वरूप स्त्रियों की स्थिति तथा स्वास्थ्य में सुधार आया है स्त्रियाँ आत्मनिर्भर होने के कारण अपने फैसले स्वयं लेती है।
(3) आर्थिक कारक और जाति वर्ग व्यवस्था में परिवर्तन (Economic factors and change in class) - भारतीय समाज में आर्थिक कारकों के कारण जाति व वर्ग व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये हैं। औद्योगीकरण व नगरीकरण के कारण जाति व वर्ग व्यवस्था में कमी आयी है। नगरों में सभी जाति के व्यक्ति साथ मिलकर कार्य करते है साथ खाना खाते हैं, साथ सफर करते हैं इससे जाति- पाति के विचार स्वयं समाप्त हो रहे है। आर्थिक प्रगति के कारण स्त्री-पुरुष सभी कार्य करते हैं। इसी कारण अन्तर्जातीय विवाह को भी प्रोत्साहन मिल रहा है व दहेज प्रथा की समाप्ति हो रही है। आर्थिक कारकों के कारण वर्ग व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आये परम्परागत व्यक्ति केवल कृषि पर निर्भर थे व समाज कई वर्गों में बँटा हुआ था परन्तु वर्तमान समाज में व्यक्ति केवल कृषि पर आश्रित नहीं है। उद्योग-धन्धों के विकास ने पूँजीवादी व्यवस्था को जन्म दिया है जिस कारण सम्पूर्ण समाज केवल दो वर्गों में बँट गया है - (1) पूँजीपति वर्ग (2) श्रमिक वर्ग। पूँजीवादी वर्ग शोषक वर्ग के रूप में कार्य करता है जिस कारण श्रमिक वर्ग उससे संघर्ष करता है। वर्तमान समय में श्रमिक वर्ग अपने अधिकारों के प्रति बहुत अधिक जागरुक है। अतः वर्ग संघर्ष अब भारतीय सामाजिक व्यवस्था का प्रमुख अंग बन गया है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि वर्ग संघर्ष का प्रमुख आधार दोनों पक्षों के बीच हितों का टकराव है इसी अनेक परिवर्तन घटित होते हैं। इन सब परिवर्तनों का कारण आर्थिक ही है।
(4) आर्थिक कारक और धार्मिक जीवन में परिवर्तन (Economic factors and change in Religious life) - आर्थिक कारकों के परिणामस्वरूप व्यक्ति के धार्मिक जीवन में भी कई परिवर्तन हुए हैं। आर्थिक विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास अनिवार्य है। ये कारक धर्म के मार्ग में बाधक हैं साथ ही धर्म की अपेक्षा धन के महत्व को बढ़ाते है। मिलों, दफ्तरों, कारखानों में सभी धर्मों के व्यक्ति साथ कार्य करते हैं, साथ खाना खाते हैं, साथ घूमते हैं जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है। अपने-अपने त्यौहारों पर एक-दूसरे को निमंत्रित करते हैं जिससे धार्मिक सहिष्णुता का विकास होता है अतः कहा जा सकता है कि आर्थिक कारकों के कारण व्यक्तियों के धार्मिक जीवन में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन घटित हुए हैं।
(5) आर्थिक कारक और जीवन स्तर में परिवर्तन (Economic factors and change in standard of life) - आर्थिक कारकों के कारण व्यक्तियों के जीवन स्तर में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। परम्परागत गाँव में यदि रोजगार है तो उसका माध्यम केवल कृषि होता है व उसके लिए कोई उन्नत साधन भी नहीं थे परन्तु वर्तमान समय में गाँवों में कृषि कार्य आधुनिक प्रविधियों से किया जाता है जिससे व्यक्ति का जीवन स्तर तो सुधरा ही है साथ ही उसे श्रम भी कम करना पड़ता है। भारत भौगोलिक व प्राकृतिक साधनों के आधार पर धनी देश है परन्तु वहाँ के निवासी निर्धन कहे जाते हैं इसका प्रमुख कारण आर्थिक ही है। श्रमिक तथा कृषक अपने अज्ञान के कारण सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। इसके अतिरिक्त श्रम का अभाव, पूँजी की कमी, बैंकिंग तथा धन की कमी, परिवहन के साधनों का अभाव आदि आर्थिक कारक हैं जो वहाँ के निवासियों के जीवन स्तर को प्रभावित करते हैं। देश में रहने वाले व्यक्तियों की निर्धनता के कारण अनेक हैं जैसे उद्योग-धन्धों का विकास न होना, अज्ञानता, पिछड़ापन तथा ग्रामीण उद्योगों का विकास न होना जिससे बेकारी व बेरोजगारी को बढ़ावा मिला है। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि व्यक्ति खुद रोजगार शुरू न करके नौकरी करना चाहता है जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। व्यक्ति स्वयं रोजगार शुरू करके अन्य व्यक्तियों को रोजगार दे सकता है परन्तु वह ऐसा नहीं करता इसी कारण प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में व्यक्ति बेरोजगार हो जाते हैं। इन सभी कारकों का रूप आर्थिक ही है।
(6) आर्थिक कारक और राजनीतिक जीवन में परिवर्तन (Economic factors and change in Political life) - चार्ल्स बीयर्ड के अनुसार - "संविधान एक आर्थिक मसविदा है जिसमें यह देखा जाता है कि जिस देश में बड़े-बड़े पूँजीपति होते हैं वहाँ उनका राज्य पर अत्यधिक प्रभाव होता है।
अतः कहा जा सकता है कि आर्थिक कारकों पर राजनीति का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए अमेरिका में डालर डेमोक्रेसी (प्रजातन्त्र) है परन्तु उस पर बड़े-बड़े पूँजीपतियों का प्रभाव होता है। यही स्थिति भारत में भी है यहाँ पर भी टाटा, बिरला, जे.के. आदि औद्योगिक घरानों का स्पष्ट प्रभाव सरकार पर होता है। ये लोग चुनाव के समय करोड़ों रुपयों से राजनीतिक पार्टियों की सहायता करते हैं जिससे सत्ता में आने के बाद पार्टियों पर इनका प्रत्यक्ष प्रभाव रहता है। विभिन्न देशों के बीच पारस्परिक आर्थिक सहयोग की प्रक्रिया के कारण देश की उन्नति की जाती है व राजनीतिक सम्बन्ध भी मजबूत बनाये जाते हैं। अर्थात् आर्थिक कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज के राजनीतिक विभिन्न पक्षों को प्रभावित करते हैं।
(7) आर्थिक कारक और विघटनात्मक परिवर्तन (Economic factors and Adverse Changes) - आर्थिक कारक संगठन के साथ-साथ विघटन को भी बढ़ावा देते है। औद्योगीकरण व नगरीकरण के कारण अनेक गन्दी बस्तियों का (विकास) निर्माण होता है जिनसे अनेक विघटन सम्बन्धी कारकों का उदय होता है जैसे- गन्दी बस्तियों के विकास के कारण मानसिक व शारीरिक रोग बढ़ जाते हैं, मनोरंजन का व्यापारीकरण होता है, अपराध, चोरी, नशाखोरी, डकैती, जालसाजी, शराबखोरी, वेश्यावृत्ति बढ़ जाते है। आर्थिक कारकों के कारण स्त्रियाँ घर से बाहर नौकरी के लिए जाती है जिससे उनका पारिवारिक जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ ही बच्चों की उचित देख-रेख न होने के कारण उनमें अपराधी प्रवृत्ति बढ़ जाती है। कई बार स्त्रियों का मानसिक व शारीरिक दोनों प्रकार से शोषण होता है।
|
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?